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भाग्यांक

भाग्यांक

जब किसी व्यक्ति का जन्म होता है, उसकी तारीख का अंक उसका मूलांक कहलाता है तथा उस दिन की तारीख, माह, वर्ष को योग करके प्राप्त संख्या को एकल संख्या में परिवर्तन का प्राप्तांक को भाग्यांक कहा जाता है। जैसे किसी का जन्म 27.05.2012 को हुआ तो मूलांक 9 व भाग्यांक 1 होगा।

भाग्यांक 1

भाग्यांक एक का अधिष्ठता सूर्य ग्रह को माना गया है। इसके प्रभाव से इस अंक के जातक अपने कार्यक्षेत्र में चतुर, बलवान, बुद्धिमान, राजसी ठाटबाट को पसन्द करने वाले, स्पष्ट वक्ता होते हैं। स्वभाव से गम्भीर, उदार हृदय, परोपकारी, सत्य के मार्ग पर चलने वाले, यशस्वी तथा विरोधियों को परास्त करने में विश्वास रखने वाले शूरवीर व्यक्ति के रूप में पहचान स्थापित करते हैं। इनका जीवन चक्र एक राजा की भाँति संचालित होता है, अर्थात हुकूमत पसन्द, स्वतंत्र तथा स्थिर विचार एवं निर्भीक होते हैं। अहं या स्वाभिमान इनमें कूट-कूट कर भरा होता है।

इनकी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति, इनकी मेहनत से होती है। सूर्य अग्नि तत्व का द्योतक होने से इनका तेज समाज के विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त होता है। जीवन शक्ति इनमें अच्छी होती है, एवं दूसरों को प्रोत्साहित करने में कुशल होते हैं। इनका भाग्य उच्च श्रेणी का होने से एक दिन अपने श्रम, लगन, स्थिर प्रकृतिवश सर्वोच्चता को प्राप्त करते हैं। सूर्य प्रकाशित ग्रह होने से इनको हमेशा प्रकाश में रहना सुखकर लगता है, और ऐसे ही कार्यक्षेत्र को पसन्द करेंगे, जिसमें नाम तथा यश दोनों ही मिले।

भाग्यांक 2

भाग्यांक दो का स्वामी चन्द्र ग्रह को माना गया है। इसके प्रभाव से इनकी कल्पनाशक्ति उन्नत किश्म की होती है। बौद्धिक स्तर उच्च कोटि का होता है एवं बुद्धिजन्य कार्यों में, इनकी विशेष अभिरुचि होती है। शारीरिकश्रम साध्य कार्यों में इनकी दिलचस्पी कम रहती है। चन्द्रमा जिस तरह घटता-बढ़ता रहता है, उसी प्रकार इनके भाग्य का सितारा भी, कभी एकदम ऊँचाईयों को प्राप्त करता है और कभी एकदम घोर अंधकार में, ऐसे समय में धैर्य रखना इनके लिए अनिवार्य हो जाता है, क्योंकि भाग्य का सितारा भी पुनः पूर्णिमा की तरह प्रकाशित होता है। धैर्य न रखना इनकी कमजोरियों में होता है।

इनका भाग्य बदलता रहेगा एक स्थिर मुकाम पर कभी नहीं पहुँचेगा। इन्हें सम्पूर्ण जीवन में भाग्योदय की कुछ कमी खटकती रहेगी। इन्हें अधिकारियों से लाभ होगा तथा धन-धान्य से सुखी रहेंगे। अपनी चलायमान प्रकृति पर नियंत्रण रखना होगा, अन्यथा एक के बाद एक कार्यों को बीच में छोड़कर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति से इनके कार्य देर से सफल होंगे, और कभी असफल भी हो सकते हैं।

भाग्यांक 3

भाग्यांक तीन का अधिष्ठाता बृहस्पति ग्रह को माना गया है। इसको गुरु भी कहते हैं। गुरु ग्रह के प्रभाववश ये धार्मिक, दानी, उदार, सच्चरित्र, ज्ञानी, विद्वान, परोपकारी, शान्त स्वभाव, सत्य का आचरण करने वाले व्यक्ति के रूप में ख्याति प्राप्त करते हैं। अनुशासन में रहना एवं दूसरों से अनुशासन की अपेक्षा करना इनका प्रमुख गुण होता है। ये अपने अधिनस्थों से अधिकांश कार्य अपने बुद्धि कौशल से निकलवाने में सिद्धहस्त होते हैं।

सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्रों में इनकी रुचि रहती है, एवं आवश्यकता के समय समाज सेवा के कार्य से पीछे नहीं हटते। धर्म-कर्म के कार्यों में इनकी रुचि रहती है। गुरु धन-सम्पदा का दाता ग्रह है, अतः गुरु के प्रभाव से अपने कर्मक्षेत्र, रोजगार के क्षेत्र में अच्छी सम्पदा एकत्रित करते हैं। भूमि, वाहन, सम्पत्ति का अच्छा सुख प्राप्त करते हैं, ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में रुचि होती है और ऐसा कार्य करना पसन्द करते हैं, जिनमें अनुभव, ज्ञान का भरपूर उपयोग होता हो, और पूर्ण सम्मान यश इत्यादि प्राप्त हो।

भाग्यांक 4

भाग्यांक चार का स्वामी भारतीय मतानुसार राहु एवं पाश्चात्य मत से हर्षल ग्रह को माना गया है। हर्षलग्रह के प्रभाव से इनका भाग्योदय अचानक होता है। इनके जीवन में कई कार्य ऐसे होते हैं, जिनमें अथक परिश्रम के बाद निश्चित अवधि में सफलता न मिले और कार्य रुक जाय। लेकिन एक दिन अचानक ही ऐसे कार्य बन भी जाया करते हैं। ये जातक अपने कार्यक्षेत्र में परिवर्तन के हिमायती होते हैं, एवं पुरानी मान्यताओं में परिवर्तन करते रहना इनकी आदत होती है तथां रूढ़िवादिता से थोड़े दूर तथा आधुनिक होते हैं।

ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में इनका रुझान रहता है एवं ऐसे कार्यों को संपादन करने में आनन्द अनुभव करते हैं, जिन्हें अन्य जन दुष्कर समझते हैं। इनके कार्यों में विस्फोटकता रहेगी तथा अचानक चर्चित होंगे, लेकिन यह स्थायित्व नहीं ले सकेगा। बार-बार का परिवर्तन इनकी उन्नति में बाधक होता है। अचानक सफलता या असफलता से इन्हें जोखिम कार्यों से दूर रहना या सोच-समझकर कार्य करना भाग्य वृद्धि कारक रहेगा।

भाग्यांक 5

भाग्यांक पाँच का स्वामी बुध ग्रह होने से इनका भाग्योदय स्वतः की बुद्धि विवेक द्वारा होगा। बुध वाणिज्य तथा व्यावसायिक कला का दाता है। गणित, लेखन, शिल्प, चिकित्सा, लेखा कार्यों में अच्छी प्रगति प्रदान करेगा। इनके अन्दर व्यापारिक कला अच्छी विकसित होगी। वाक् पटुता, तर्कशक्ति, बहुत बोलने की आदत आदि भी रहेगी। ऐसे लोग रोजगार के क्षेत्र में नित नई स्कीम बनायेंगे जो इनकी तरक्की का मार्ग प्रशस्त करती हैं। वाणिज्य कला में ऐसे लोग काफी निपुण रहते हैं, एवं रोजमर्रा के कार्यो को फुर्ती से पूर्ण करते हैं। दूसरों से कार्य करवाने में भी निपुण होते हैं।

व्यवसाययिक बुद्धि होने से धन संग्रह की ओर ये अधिक आकृष्ट होते हैं एवं आवश्यकतानुसार भविष्य के लिए धन एकत्रित करते हैं। आर्थिक क्षेत्र में इनकी स्थिति मध्यमोत्तम श्रेणी की होती है। कानून का इन्हें ठीक ज्ञान रहने से, कार्य क्षेत्र में सभी कार्यों को बखूबी निभायेंगे तथा अन्य व्यक्ति ऐसे ज्ञान के आगे नत-मस्तक होंगे।

भाग्यांक 6

भाग्यांक 6 के स्वामी शुक्र ग्रह के प्रभाव से इनका भाग्योदय चौंसठ कलाओं में से एक कला के द्वारा होगा, शुक्र कला का दाता है, अतः ऐसे जातक में ललित कलाओं में से कुछ कलाओं का समावेश होता है, तथा कला के क्षेत्र में, कला के द्वारा जीवन यापन करते हैं।

कलात्मक वस्तुएं लाभ प्रदान करेंगी। विपरीत योनि के प्रति सहज आकर्षण के अवगुण वश तन-मन एवं धन का व्यय करेंगे। सौन्दर्य की ओर आकर्षण इनकी कमजोरी रहेगी।

इनके कार्य करने के स्थान तथा रहने के स्थान की साज-सजावट बनाये रखने में हमेशा धन व्यय होगा। क्योंकि सुसज्जित परिवेश में रहना इनके मनोनुकूल है। ऐसे लोग वस्त्र आभूषण के शौकीन होते हैं एवं धन कीर्ति इनकी ठीक रहती है तथा शान-शौकत बनी रहती है। सामने वाले व्यक्ति इन्हें हमेशा धनी समझते रहेंगे, भले ही यदा-कदा कड़की के दिनों में चल रहे हों। ऐसे जातक, किसी कला के क्षेत्र में अपना रोजगार का क्षेत्र चुनते हैं, तो इनकी उन्नति निश्चित ही होती है।

भाग्यांक 7

भाग्यांक सात का स्वामी भारतीय मत से केतु तथा पाश्चात्य मत से नेपच्यून ग्रह को माना गया है। यह कल्पना शक्ति, विचार शक्ति, अच्छी देता है, तथा भाग्योदय, रुकावटों के बाद करता है। आर्थिक क्षेत्र में प्रायः कमी करता है, एवं धन संग्रह बड़ी कठिनाई से होती है। अन्यथा ज्यादातर धन की कमी बनी रहती है। कला एवं दर्शन के क्षेत्र में इनका रुझान होता है, ऐसे जातक कई क्षेत्रों को अपना कर्म-क्षेत्र बना सकते हैं।

इन्हें ऐसा रोजगार पसन्द आयेगा जिसमें यात्रा के अवसर मिलते रहें। दूर-दूर की यात्रा करना, सैर सपाटा इनके लिए रुचि पूर्ण रहेगा। कई एक यात्रओं से व्यावसायिक उन्नति प्राप्त करते हैं, तथा दूर के व्यक्तियों से इनका अच्छा संबंध होता है, जो रोजगार व्यापार में इन्हें लाभ प्रदान करते हैं। पुराने रीति-रिवाजों पर इनकी आस्था कम होती है, तथा परिवर्तन करते रहना इनका स्वभाव होता है। इनका कार्यक्षेत्र यदा-कदा परिवर्तित होता रहता है।

भाग्यांक 8

भाग्यांक आठ का स्वामी शनि ग्रह को माना गया है। शनि ग्रह अति धीमा होने से तीस वर्ष में एक राशिपथ भ्रमण चक्र पूर्ण करता है। इसके प्रभाव से इनका भाग्योदय भी धीरे-धीरे होगा। ऐसे लोग भले ही, कितनी भी गरीबी में उत्पन्न हुए हों पर इनका भाग्य सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ता चला जाता है। इनके मार्ग में इस बीच रुकावटें भी आती हैं, जिन्हें ये धैर्य एवं श्रम से पार कर लेते हैं। आलस्य एवं निराशा इनके भाग्योदय की बाधांऐं होती हैं। इन पर विजय प्राप्त करना इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि होती है।

कुछ जातक अपने कार्यक्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्राप्त करते हैं। इनकी सभी सफलताएं विध्नों से युक्त होते हुये भी, ये आसानी से अपनी तरक्की के रास्ते स्वयं निर्मित कर लेते हैं। इनका भाग्योदय 35 वर्ष की अवस्था के पश्चात ही होता है। बचपन की अपेक्षा मध्य तथा अन्तिम अवस्था इनके भाग्योदय में विशेष सहायक होती है। अन्तिम अवस्था इनकी अच्छी होती है एवं धन सम्पत्ति का पूर्ण सुख प्राप्त करते हैं।

भाग्यांक 9

भाग्यांक 9 का स्वामी मंगल ग्रह को माना गया है। यह ग्रहमण्डल का सेनापति ग्रह है। यह रक्त वर्ण का क्षत्रियोचित गुणों से युक्त है, इसके प्रभाव से मूलांक 9 के जातक स्वतंत्र रोजगार-व्यापार के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक साहसिक कार्यों से अपना भाग्योदय करते हैं, तथा ऐसे क्षेत्र में अपना रोजगार प्राप्त करते हैं, जहाँ इनकी हुकूमत चलती रहे। मुखिया, नायक, अगुआ के रूप में कार्य करना इनको हमेशा अच्छा लगता है।

रोजगार के क्षेत्र में अपनी स्वतंत्र विचारधारा के द्वारा महत्वपूर्ण उन्नति को प्राप्त करते हैं तथा यांत्रिक कार्यों में इनकी रुचि होती है। एकाधिकार पूर्ण कार्य क्षेत्र इनकी प्रथम पसन्द होती है, और हमेशा इनकी कोशिश होती है, कि कार्यक्षेत्र में जीवन यापन हेतु जो कार्य चुना है, उसमें किसी का भी हस्तक्षेप न हो। बिना कारण का हस्तक्षेप ये बर्दास्त नहीं कर पाते। यांत्रिकी कार्य, चिकित्सा, सेना, संगठन, सामाजिक क्रिया कलापों में, ये गहरी रुचि प्रदर्शित करते हैं।

 

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